Loneliness is a feeling that touches everyone at some point — silent, deep, and often hard to explain. But through Shayari, those unspoken emotions find a voice. This collection of 100+ Best Alone Shayari in both English and अलोन शायरी हिंदी में captures the raw beauty of solitude, heartbreak, and silent strength. Whether you’re dealing with emotional pain, missing someone, or simply sitting with your own thoughts, these Shayari lines resonate with the soul. Let each verse remind you that even in loneliness, there is poetry, depth, and a quiet power waiting to be understood.
Alone Shayari 2 Lines
तन्हा नहीं हूँ मैं
मुझ में बसा है वो
अब ये आलम है कि तन्हाई से हम तंग आकर
खुद ही दरवाज़े की ज़ंजीर हिला देते हैं
आईना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई
गर्दिश-ए-इयाम के अंधे वतीरे देखे
हम जो बैठे ज़ेरे साया, चल पड़ी दीवार भी
मंज़िल भी उसकी थी, रास्ता भी उसका था
एक हम ही अकेले थे, क़ाफ़िला भी उसका था
हम पहले ही जी रहे थे उदास रातों में अकेले
आप के जाने के बाद रौनक और बढ़ गई
सब्र के घूंट तेरे हिज्र में पीने लग जाएँ
काश हम तेरी तरह चैन से जीने लग जाएँ
अकेला हूँ अकेली ज़िंदगी की शाम कर दूँगा
मैं अपनी हर ख़ुशी तन्हाइयों के नाम कर दूँगा
सहरा को बड़ा नाज़ था अपनी वीरानी पर
उसने देखा ही नहीं आलम मेरी तन्हाई का
इस को तमन्ना थी हमें कोई न देखे
हम ने होकर तन्हा उन्हें खुशहाल कर दिया
अब तो तन्हाई का कोई एहसास नहीं होता
अब पानी में भी तेरा अक्स नज़र आता है
माना के तुम से ज़्यादा दूर हो गया हूँ मैं
मगर तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजारता हूँ मैं
मेरा और चाँद का नसीब एक जैसा है
वह तारों में तन्हा, मैं हजारों में तन्हा
सारा शहर उसके जनाजे में शरीक था
वह एक शख्स जो तन्हाई के खौफ से मर गया
कंधा नहीं है मयस्सर कोई अब मुझे
रोना आए तो दीवार से लग जाता हूँ
मेरी चाहत की बहुत लंबी सज़ा दो मुझ को
क़र्ब-ए-तन्हाई में जीने की दुआ दो मुझ को
यूँ है कि यहाँ नाम और निशान तक नहीं तेरा
और तुझ से भरी रहती है तन्हाई हमारी
मैं अपनी तन्हाई में तन्हा बेहतर हूँ
मुझे जरूरत नहीं दो पल के सहारों की
Alone Sad Shayari In Hindi
यूँ तो कहने को बहुत लोग शिनासा मेरे
कहाँ ले जाऊँ तुझे ऐ दिल तन्हा मेरे
क्यों चलते चलते रुक गए वीरान रास्तों तन्हा हूँ
आज मैं, ज़रा घर तक तो साथ दो
डार से बिछड़ा हुआ तन्हा परिंदा देखकर
बोज़ दिल का लग रहा है किस क़दर हल्का मुझे
तेरे होते हुए आ जाती थी सारी दुनिया
आज तन्हा हूँ तो कोई नहीं आने वाला
तन्हाई की ये कौन सी मंज़िल है रफ़ीकों
ता-हद-ए-नज़र एक बियाबान सा क्यों है
जो ख़्याल रखते हैं सब की ख़ुशी का हर वक़्त
तन्हा रह जाते हैं ज़िंदगी में अकसर ऐसे लोग
फिर मुक़दर की लकीरों में लिख दिया इंतजार
फिर वही रात का आलम है और मैं तन्हा तन्हा
तन्हा खामोश रात, और — गुफ़्तगू की آرज़ू
किस से करें बात, कोई सुनता ही नहीं
तन्हा रहता हूँ मैं दिन भर भरी दुनिया में क़तिल
दिन बुरे हों तो फिर अहबाब कहाँ आते हैं
तन्हाइयाँ तुम्हारा पता पूछती रहीं
शब भर तुम्हारी याद ने सोने नहीं दिया
ख़ुदग़रज़ होता तो हुजूम होता साथ
मुन्सिफ हूँ इस लिए तो तन्हा हूँ
उसे कहना हम अज़ल से अकेले रहते हैं
तुमने छोड़ कर कोई कमाल नहीं किया
मेरे नज़रीयात मुझे तन्हा करते हैं
मुनाफ़िक हो जाऊँ तो अभी भीड़ लग जाए
उसी राह पे कल मुझ को देख कर तन्हा
बहुत उदास हुआ फूल बेचने वाला
तुम जिंदा हमें छोड़ के घर जाएँ न शब को
मर्दे को भी इंसान कभी तन्हा नहीं रखते
उम्र तन्हा गुजार डाली
कोई आने का वादा कर गया था
रास आ जाती हैं तन्हाइयाँ भी
बस एक दो रोज़ बुरा लगता है
बिछड़ कर राह-ए-इश्क़ में इस क़दर हुए तन्हा
थके तन्हा, गिरे तन्हा, उठे तन्हा, चले तन्हा
थक जाओ अगर दुनिया की महफिलों से साहिब
हमें आवाज़ दे देना कि हम अक्सर अकेले रहते हैं
Alone Sad Shayari
मुझ से कहती थी क़ब्र में साथ जाऊँगी
कितनी मुहब्बत करती थी मुझ से तन्हाई
मेरे पास न बैठो साहिब
मेरी तन्हाई खफ़ा होती है
बस एक चेहरे ने तन्हा कर दिया हमें
वरना हम खुद एक महफ़िल हुआ करते थे
एक पल का एहसास बन कर आते हो तुम
दूसरे ही पल ख़्वाब बन उड़ जाते हो
तुम जानते हो कि लगता है डर तन्हाई से
फिर भी बार-बार तन्हा छोड़ जाते हो तुम
जब से लगा है तन्हाई का रोग मुझे
एक-एक करके छोड़ गए सब लोग मुझे
इसको तमन्ना थी हमें कोई न देखे
हमने हो कर तन्हा उन्हें खुशहाल कर दिया
अपनी तन्हाई में बेहतर हूँ
मुझे जरूरत नहीं अस्थायी सहारों की
हम भी फूलों की तरह अक्सर तन्हा ही रहते हैं
कभी खुद से टूट जाते हैं, कभी कोई तोड़ जाता है
कहने लगी है अब तो तन्हाई भी मुझसे
मुझसे ही कर लो मोहब्बत, मैं तो बेवफ़ा नहीं
ख़ुद से लड़ता हूँ, बिगड़ता हूँ, मना लेता हूँ
मैंने तन्हाई को एक खेल बना रखा है
सब से ज़्यादा ऑनलाइन रहने वाले लोग
हकीकी ज़िन्दगी में सब से ज़्यादा तन्हा होते हैं
मेरे ताबूत पे तुम सिसकियाँ लिखना
और लिखना कि हिज्र में मर गया आखिर
आज सोचा है दोस्ती कर लें
ख़ुद की तन्हाई से ही जी भर लें
जिस पर ज़हर असर नहीं करता
तन्हाई उसे भी मार देती है
उजड़े हुए घर का मैं वो दरवाज़ा हूँ
दीमक की तरह खा गई जिसे दस्तक की तमन्ना
बिछड़ के तुम से राह-ए-इश्क़ में हुआ कुछ इस तरह
हुए तन्हा, चले तन्हा, गिरे तन्हा
आज इतना तन्हा महसूस किया खुद को
जैसे कोई दफ़ना कर चला गया हो
मुझे अच्छा लगता है अपनी ज़ात में ग़म रहना
मुझे भाता ही नहीं लोगों से शिनासाई करना
Alone Sad Shayari 2 Lines In Hindi
तेरे हिज्र में यूं ज़र्द हुए जाते हैं
लोग तखते हैं तो हमदर्द हुए जाते हैं
तुझसे बिछड़े तो यूं हुए बे-आसरा
सहारा लिया दीवार से, वो भी पीछे को हट गई
मत पूछ कैसे गुज़रे दिन और कैसी गुज़री रात
बहुत तन्हा जीए हैं हम तुझसे बिछड़ने के बाद
लौट आया हूँ फिर से अपनी उसी क़ैद-ए-तन्हाई में
ले गया था कोई अपनी महफिलों का लालच दे के
दो घड़ी सुकून की खातिर हमने बरसों अज़ाब झेला है
उसे कहना आज भी एक शख्स तेरे होते हुए अकेला है
इस दिल में जगह मांगी थी मुसाफिर की तरह
उसने तन्हाइयों का एक शहर मेरे नाम कर दिया
कुछ लोग अकेले हो जाने के डर से
बेहद लोगों के साथ बंधे रहते हैं
दिल तो करता है कि मैं खरीद लूँ तेरी तन्हाई
मगर अफसोस मेरे पास खुद तन्हाई के सिवा कुछ नहीं
साया भी तेरा तुझको छोड़ जाएगा
आई भी तेरे काम तो तन्हाई आएगी
आज इतना तन्हा महसूस किया ख़ुद को
कि जैसे लोग दफ़्ना के चले गए हों
जब बग़ावत पे उतरती है मेरी तन्हाई
इस कदर शोर मचाता हूँ कि चुप रहता हूँ
बदलते इंसानों की बात हमसे न पूछो
हमने अपने हमदर्द को हमारा दर्द बनते देखा है
तन्हाई में जीने के शौकीन हैं हम
कोई साथ रहे तो हमें अच्छा नहीं लगता
तन्हाई बेहतर है झूठे लोगों से और बे-मकसद बातों से
मुझे अच्छा लगता है अपनी ज़ात में गुम रहना
मुझे भाता ही नहीं लोगों से शिनसाई करना
तू भी नहीं था मेरे पास दुलासे के लिए
मैं अपनी ही बाँहों में सिर रख के रो पड़ी
उलझेगा वह ख़ुद से हर रोज़ कई बार
भागेगा देखेगा कहीं दस्तक तो नहीं है
तुम्हारे हाथ की दस्तक की आस में
मैं अपने घर से कहीं भी नहीं गया बरसों
Feeling Alone Sad Shayari
कुछ रातें इतनी खाली होती हैं
कि सितारों के हुजूम भी इन्हें भर नहीं पाते
तन्हा जिंदगी का भी अपना ही मज़ा है
न किसी के आने की खुशी, न किसी के जाने का ग़म
वैसे कहने को तो अपने बहुत हैं मेरे इस जहाँ में
लेकिन हर बार खुद को ही अपने होने का एहसास दिलाया मैंने
तू कहाँ है कि तेरी याद के हाथों अब तो
मेरे साथ परेशान मेरी तन्हाई भी
तमाम रात मेरे घर का इक दर खुला रहा
मैं राह देखती रही, वह रास्ता ही बदल गया
मेरी तन्हाई का मुझे ग़िला नहीं
क्या हुआ जब कोई मुझे मिला नहीं
फिर भी दुआ करेंगे हम आपके वास्ते
आपको वो सब मिले जो मुझे मिला नहीं
सोचती हूँ कि बुझा दूँ मैं ये कमरे का दिया
अपने साये को भी क्यों साथ जगाऊँ अपने
साथ चलने को चले थे सब दोस्त लेकिन
मेरी मंज़िल का साथी मेरा साया निकला
उसकी खुशबू से महकता है मेरी तन्हाई
याद उसकी मुझे तन्हा नहीं होने देती
जिंदा रहने की ये तरकीब निकाली मैंने
अपने होने की खबर सब से छुपा ली मैंने
अकेले रह जाते हैं वह लोग
जो खुद से ज्यादा दूसरों की फिकर करते हैं
हर रात मेरा दिल ख़ुद से यह सवाल करता है
हर किसी का साथ निभाने वाले ख़ुद क्यों तन्हा रहते हैं
कितनी ख़ामोश थी वह हिज्र की रात
दिल की धड़कन से कान फटते थे
अपनी ज़िंदगी भी
उस चाँद की मानिंद है
जो खूबसूरत दिखता है
मगर है बहुत अकेला
अपनों ने भी न सोचा कि उजड़ूंगी तो किधर जाऊँगी
आशियाना जिनका न हो, वो परिंदे अक्सर मर ही जाते हैं
मैं तन्हाई पसंद नहीं हूँ हाँ मगर
बनावटी रिश्तों से दम घुटता है मेरा
कौन आएगा यहाँ, कोई न आया होगा
मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा
Akelapan Shayari
अगर कोई हक़ीकत में मर जाए
तो रोने वाला एक हुजूम होता है
लेकिन अगर बंदा अपने ही अंदर ख़ुद मर जाए
तो मियत भी उसकी और रोने वाला भी वो तन्हा
चाँदनी रातों की तन्हाई का आलम मत पूछिए
रो पड़े हम सहारे ढूँढते ढूँढते यहाँ
बज़रूरत महफिलों की जान हूँ मैं
लेकिन हकीकत में तन्हाई का मारा हूँ
मैं उसके अक्स से लिपट लिपट के
हर रात रोती हूँ, तन्हा यह दर्द सहती हूँ
फ़िराक-ए-यार ने बेचैन रात भर रखा
कभी तकिया उधर रखा, कभी तकिया इधर रखा
मत पूछ कैसे गुज़रे दिन और कैसी गुज़री रात
बहुत तन्हा जीए हैं हम तुझसे बिछड़ने के बाद
दिल टपकने लगा है आँखों से
अब किसे राज़दान करे कोई?
शहर में शोर, घर में तन्हाई
दिल की बातें कहाँ करे कोई?
तू भी नहीं था मेरे पास दुलासे के लिए
मैं अपनी ही बाँहों में सिर रख के रो पड़ी
रास तन्हाई भी नहीं आती मुझको
और हर शख़्स से बेज़ार भी हूँ
लाख समझाऊँ फायदों मुझे तन्हाई के
मुझे जीना ही नहीं तुझसे किनारा करके
मेरी तन्हाईयों का आलम तो देखो
रातें गुज़र गई पर उसकी यादें नहीं
तन्हाई कट ही जाएगी, इतने भी हम कमजोर नहीं
दहरा कर तुम्हारी बातों को कभी हंस लेंगे, कभी रो लेंगे
सूरज भी उसे ढूँढने वापस चला गया
अब हम भी घर लौट चलें, शाम हो गई है
Conclusion:
Loneliness may be silent, but it speaks volumes through the language of Shayari. This collection of 100+ Best Alone Shayari in English and अलोन शायरी हिंदी में has explored the quiet corners of the heart — where emotions are raw, thoughts are deep, and words become a source of healing. If these lines touched your soul or echoed your inner feelings, then they’ve served their true purpose. Remember, being alone doesn’t mean being weak — sometimes, it’s in solitude that we discover our true strength. Keep feeling, keep writing, and let your silence continue to speak through poetry.